अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा MK-84 (2,000 पाउंड) बमों की इज़रायल को आपूर्ति ने गंभीर आक्रोश और टेंशन उत्पन्न की है। यह न केवल अमेरिका द्वारा इज़रायल को पूर्ण समर्थन जारी रखने का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गाज़ा में नागरिक बुनियादी ढांचे के विध्वंस के कारण इज़रायल अपने हथियारों के भंडार को भरने की बेहद जरूरत महसूस कर रहा है।
MK-84 बम की विशेषताएं और घातक प्रभाव
1. अत्यधिक विनाशकारी क्षमता
MK-84 एक एक-टन (2,000 पाउंड) विस्फोटक बम है, जो अपने उच्च-विस्फोटक पेलोड के कारण भारी तबाही मचाने की क्षमता रखता है।
2. विस्फोट की तीव्रता
विस्फोट का रेडियस 15 मीटर (लगभग 50 फीट) से अधिक होता है।
शॉकवेव और छर्रे सैकड़ों मीटर तक विनाश फैला सकते हैं।
3. गहरी पैठ (Penetration Power)
यह बंकरों, मजबूत इमारतों और भूमिगत संरचनाओं को नष्ट करने में सक्षम है।
गज़ा जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में इसके इस्तेमाल से बड़े पैमाने पर नागरिक हताहत हो सकते हैं।
4. वास्तविक युद्धक्षेत्र प्रभाव
गज़ा में पहले भी MK-84 बमों का इस्तेमाल नागरिक बुनियादी ढांचे, अपार्टमेंट इमारतों और अस्पतालों पर हमलों में हुआ है।
इन बमों के हमले से हजारों निर्दोष नागरिकों की जान जा सकती है और पूरी की पूरी इमारतें मलबे में तब्दील हो जाती हैं।
राजनीतिक और मानवाधिकारों का मुद्दा
MK-84 बमों की आपूर्ति पर मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि यह इज़रायल की गाज़ा में की जा रही सैन्य कार्रवाई को और भी घातक बना सकता है।
इन बमों का उपयोग "युद्ध अपराध" की श्रेणी में आ सकता है, क्योंकि यह नागरिक आबादी को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है।
MK-84 बमों की यह आपूर्ति इज़रायल को पहले से ही जारी आक्रामक सैन्य अभियानों को और तेज़ करने में मदद कर सकती है। इसके इस्तेमाल से नागरिक हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है, जिससे मध्य-पूर्व में पहले से ही तनावपूर्ण हालात और अधिक खराब हो सकते हैं।
